“यह त्रिभुवन घोर अन्धकार में निमग्न हो जाता यदि सृष्टि
के आरम्भ से शब्द (भाषा) की ज्योति न जलती होती।”
-दण्डी
“सर्व सत्तावादी समाज में केवल कला या साहित्य ही ऐसा क्षेत्र है,
जहाँ बाहरी दबाबों के खिलाफ मोर्चा बाँधा जा सकता है।”
-हरबर्ट मारक्यूज
Vision and Mission
Vision
"
-
भाषा मनुष्य के अस्तित्व के बोध, विचार, ज्ञान और चिन्तन का आधार है। अतः विद्यार्थियों को भाषिक अभिव्यक्ति की दृष्टि से सक्षम बनाना।
-
साहित्य के अध्यापन के माध्यम से इस अमानवीयकरण के दौर में सच्चे मनुष्य के निर्माण की दृष्टि से विद्यार्थियों के सचेत, सजग, संवेदनशील, अनुभूति प्रवण, आदर्श एवं मूल्यों से युक्त व्यक्तित्व का निर्माण।
-
स्वतंत्र चिन्तन, विश्लेषण एवं भाषायी अभिव्यक्ति कौशल की दृष्टि से विद्यार्थियों को सक्षम बनाना ताकि वे जीवन के विविध क्षेत्रों में स्वयं को प्रमाणित कर सकें।
Mission
"
-
पाठ्यक्रम के साथ-साथ पाठ्यक्रम के बाहर के साहित्य के अध्ययन एवं रचनात्मक अभिव्यक्ति की संभावनाओं का विकास करना।
-
साहित्य एवं भाषाई अभिव्यक्ति के माध्यम से छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व का विकास।
-
सामाजिक संदर्भ में समकालीन एवं पारम्परिक साहित्य की तलस्पर्शी व्याख्या, विश्लेषण और मूल्यांकन की क्षमता का विकास।
-
नेट, स्लेट एवं विविध प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से विद्यार्थियों को सक्षम बनाना।